रजवट भोगी नह रामजी,
बचन बन्ध बन डोल।
कैहि भगता कारज कियां,
यो मिनखां जूण रो मोल॥
धरम निभावण रघुवंशी रिहा,
कटिया करकर कौल।
शाह औरंग शंकित,
यो मिनखा जूण रो मोल॥
अजयपाल रखदी अजय,
सांच सही तप तोल।
टूट्यांक्षकांगरा लंक तठै,
यो मिनखां जूण रो मोल॥
बस्तीमल लिखियां विधी,
कर लिखिया सहि कौल।
भारत मात इन्दिरा भई,
यो मिनखा जूण रो मोल॥
घावां घायल होवतां,
कै होता कटु बैण।
इब अै घायल यूँ हुवै,
देख्यां नारी नैण॥