नरहरि प्रभु कारन निखिल, सुनहु, जथा क्रम संत।

पृथ्वी राखी प्रलय तैं, भए मीन भगवंत॥

द्राविड़ देस नरेस भयो, सत्यव्रत इहिंनाम।

वेद प्रणीत विधांन मय, सकल धर्म कौ धाम॥

राजनीति जुत व्रत नियत, ब्रह्म परायन वीर।

छत्रि धर्म मर्जाद छिति, विजयी समर सधीर॥

ब्रह्म कौवासुर प्रसय समय, निकट भयौ आंनि।

नृप तप अवधि सु दूरि तव, प्रभुचित चिंतामांनि॥

स्रोत
  • पोथी : नरहरिदास बारहठ ,
  • सिरजक : नरहरिदास बारहठ ,
  • संपादक : सद्दीक मोहम्मद ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम