साहब बण्यौ फिरै टाबरियौ, मुंडै डैडी मम्मड़ली।
ऊंटियौ जद मारी लातड़ी, नाम आयग्यौ मावड़ली॥
जे चंचळाई घणी दिखावै, सग्यां बांधदै मांचड़ली।
गोधै पूंछ बांधी जेवड़ी, मारै ऊभ्यां डांगड़ली॥
गोधौ ठड़तौ दिखै भाजतौ, अटकै दूजी माचड़ली।
हाथ अकुंण्यां लूसां उतरी, फूटी दोनूं गोडड़ली॥
जणै जेवड़ी टूटै मांचै, सोरी लीनीं सांसड़ली।
ऊंधौ पंडियौं आंख्यां फाड़ै, आ हुई कांइ बातड़ली॥
चौथड़ली पर बैठ्यौ भाई, गप्पां मारै धाकड़ली।
रात खेत मै भूत देखियौ, मार भगायौ डांगड़ली॥