चहू वोर चहूवान तै, अरि कोऊ गहै न क्रिवान।
अब कछु राव हमीर के, बरनौं गुनहिं वखान॥
सुमरौं देवी सुरसती, गौरी सुत बुधि वीर।
अलादीन कलजुग भये, सत जुग राव हमीर॥
पहलै साहिब सुमरिये, सव का सिरजनहार।
आदि भवानी अंबिका, गणपति सुरपति-सार॥
अलादीन हमीर के, कहौं कछू गुन गान।
कछू भवानी वर दीयो, कछू अपनी बुधि उनमान॥
कछू चंद के वचन सुनि, कछू भारथ के वाक।
कछू वीर रस समझि कै, सुनि हमीर की धाक॥