लाडा की भुआ बण्यो, हरी किशन सुरजीत।

खूब दिखावो कर लियो, मूंडे देखी प्रीत॥

स्रोत
  • पोथी : पोलमपोल भायाजी ,
  • सिरजक : कर्पूरचंद कुलिश ,
  • प्रकाशक : राजस्थान पत्रिका प्रकाशन