खींवसिंघ मरणौ नीं समझै, कड़क दिखावै हाथड़ली।

रंग बांकड़लौ आभल निरखै, ऊभी ऊंची टीबड़ली॥

आभल आंख्यां मिली खींव सूं, सूंपी जोवा पूंजड़ली।

कांमण ऊभी हेला देवै, मत छोड्या थै साथड़ली॥

खींवैं हाथ हाथ सूं थामयौ, सोगन मूंडै बातड़ली।

मरणौ जीणौ साथ कांमणी, नुई थरपस्यां गांवड़ली॥

आभल खींवै बातां सुणतां, झालै जीवां आगड़ली।

फौजा साथै चढियौ आवै, भालो थामयां हाथड़ली॥

टिड्डी दल ज्यूं फौज आवै है, खींवै देखी आंखड़ली।

जूंझारू री भुजा फडूकी, हाथां थामी बीजड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम