हिंगलाज मां रौ मिंदर दीसै, दूर दिसावर धरतड़ली।

मुसलिम भाई कहता दीसै, हज नानी री बातड़ली॥

आवड़ माता आय बिराज्या, थळी देस री टेकड़ली।

तेमड़ टीलै बसी भवानी, घरमा राखी नीवड़ली॥

करणी बिन किरणा नीं निसरै, देस जांगळू धरतड़ली।

बिन माताजी राज रहवै न, बीकै जाणी बातड़ली॥

लड़णौ भिड़णौ छोड़ौ, रावळ, हेत बसावौ हीवड़ली

जैसाणै बीकणै कांकड़, रेखा खींची मावड़ली॥

बेटौ डूब्यौ बीच तलाबा, कोलायत री झीलड़ली।

करणी माता हेलौ देतां, लाखण खोली आंखडली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम
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