रंग-रेजौ छापलिया मारै, बिकै चोवटै हाटड़ली।
रंग लाग्यां सूं चमकै दूणी, लाल'र पीळी चूंदड़ली॥
बीकांणै री सदर जेळ मै, बुणै गलीचा जाजमड़ी।
रेसम धागा रंग-रंगीला, कोरै फूलां पांखड़ली॥
गाभां माथै मंडै मांडणा, बाढाणै री धरतड़ली।
रंग रंगीला बूंटा मांड्या, छपती दीस चूंदड़ली॥
चित्रकला है घणी सांतरी, मांडया घोड़ा सांढड़ली।
घेर घाघरौ देती नाचै, भीतां माथै गोरड़ली॥
ढोला मारू मंडया खाल पर, चिड़कल मांडी भींतड़ली।
महल मांय नै मंडी कांमणी, घूंघट कांढ्यां चूंदड़ली॥
मोर चंग मनड़ै नै भावै, जैसाणै री धरतड़ली।
दांतां बीचां आन तारियौ, मधरी छोडै तानड़ली॥