देवनाथ जोधाणै आया, पकड़ी काळी सांपणली।

समसांणा रौ राज देवतां, राजा राखी बातड़ली॥

कंनफटियौ जोगी घर आयौ, देतौ फेरी गांवड़ली।

बैठै राजा बैठै परजा, धमचक घालै धाकड़ली॥

ओधड़ जोगी दिखै गांव मै, हिंगळा चेला मावड़ली।

कांन फाड़णौ बंद कियौ है, जटा दिखै नीं चोटड़ली॥

जणै अघोरी जोगी आवै, डरै मानखौ गांवड़ली।

घरा-घरां सूं भिकछा मांगै, सींगी बाजै धाकड़ली॥

मूंडी खोल फौड़ै कोथळी, जहर नाखलै बाटकड़ी।

पूंछ पकड़या दीसै लावतौ, ढकै मांयनै छाबड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम