बंबलू गांव कतरियासर है, सिद्धां धरमा धरतड़ली।

रामू सारण सीख सुणै है, घरम छतीसां आकड़ली॥

नारेल सूंपै लूणकरणजी, घड़सी खोटी रोकड़ली।

हर-हर खोटा कहता दीसै, भगवन बैठ्या टीबड़ली॥

रोजी पूग्यौ सती बुलावण, चूड़ी खेड़ा गांवड़ली।

कतरियासर भगवन दीसै, रोजी फाटी आंखड़ली॥

देवपाल जसनाथ जगावै, मंत्र पढै है धाकड़ली।

भगवन प्रकट होता दीसै, सती करै है बातड़ली॥

दो समाध्यां खोदण खातिर, भगवन दीनी सीखड़ली।

सगळा नै बां कांम सूंपिया, बैठ्या ऊपर धरतड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम