जैसाणै मै दरब मोकळौ, गळियां गादी जाजमड़ी।

अमलां री मनवारां गूंजै, घरा-घरां री चौथड़ली॥

जैसाणै रै हाबूर गांव, भाटां छायी छींटड़ली।

दूध चाडियै जावण देवै, दही जमै है धाकड़ली॥

काजू बिदाम भाटा बणग्या, जेसा गावां कठोड़ी।

जद भाईड़ौ तोड़ देखलै, गिरी जमी है रेतड़ली॥

गांव डाबलै भाटा बणग्या, रूंख बांठका खेजड़ली।

सैलांणी इण आय गांव मै, परखै लैलै हाथड़ली॥

जेसांणै रै बडै बाग मै आम्बा भरलै छाबड़ली।

झील किनारै रूखां माथे मीठी बोले कोयलड़ी॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम