डाफाई सूं डूबगौ, खोटी संगत खूब।

डूबौ सो तो डूबगौ, कूक मती बेकूब॥

पढ़ै गुणै नहिं पेखवै, च्यारुंहि वर्ण निचिन्त।

मारवाड़ री मूढ़ता, मिटसी दोरी मिन्त॥

गुरु लोक गप्फा चरै, धरै राजा ध्यांन।

सो किण विध सूं सूधरै, दाखै ऊमरदांन॥

स्रोत
  • पोथी : ऊमरदान-ग्रंथावली ,
  • सिरजक : ऊमरदान लालस ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : तृतीय