बाछल जामण पूत जलमियौ, ददरेवा मै हरखड़ली।

झेबर ऊभा हरख मनावै, थाळ बाजियां छातड़ली॥

पालणियै में सूत्यौ गोगौ, साथै बैठी सांपणली।

दादोजी जद मारण ढूकै, भगवन रोकै हाथड़ली॥

गोगौ पाबू चोपड़ रमता, दिखै फेंकता कोडड़ली।

हारयौ पाबू दिखै सूंपतौ, भाई घर री बेटड़ली॥

बूडोजी राजी नीं होवै, ब्यांव रचावण धीवड़ली।

गोगोजी नै रीस आयगी भेजी पद्मा सांपणली॥

कोलूमंड बागां मै कांमण, तोड़ै फूलां पांखड़ली।

केलमदे नै संपणी डसलै, ध्यावै गोगो साथड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम