ठोड़ ठोड़ पर ऊभौ दीसै धोंमण घास रोहिड़ली।

राता माता दिखे डांगरा, दूधा भरदै चाडड़ली॥

सिरकनियां हैं दीसै मोकळी, धरती फैली साटड़ली।

भेड़ां बकरयां चरती दीसै, कंवळी-कंवळी पानड़ली॥

धकड़ी धाकड़ रोही फैली, पग-पग दीसै सोनड़ली।

दूधोली नै चरै डांगरा, ऊभा ऊपर टीबड़ली॥

बेसूदा धरती पर छायी, बेकर चरले सांढड़ली।

गायां भैंसा रळ मिळ चरलै, ऊंची ऊभी सेवणली॥

बूर घास लहरावै खेतां, ऊंची घोळी सीटड़ली।

आंगण में झाडू देवै, गांव घरां में बहवड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम