झूमर लटकै बिछिया बाजै, दांतां चमकै चूंपडली।

कैस बिणां रै माथै ऊपर, मोती लड़ियां चीढड़ली॥

हीरा मोती नथली पहरी, लटकै नीचै नाकड़ली।

ऊंची-नीची होती दीसै, बात करै जद गोरड़ली॥

सोनै री गुलमेख जड़ी है, दीसै गजबण दांतड़ली।

हस हस कांमण बात करै जद, पळका मारै मेखड़ली॥

ढोलै मिलबा मरवण चाली, पग मै झणकी आयलड़ी।

हळवा-हळवा पगल्यां धरती, चूड़यां थामी हाथड़ली॥

कड़लां उपर आवळा पात्यां, गैंणौ पूग्यो गोडड़ली।

ठुमक ठुमक कर दिखै चालती, मचका देती कांमणली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम