होळी आयां मद छकियौ है, बैठ्यौ ऊपर जाजमड़ी।

ठुकराणी रौ तानौ सुणतां, स्सै री फाटी आंखड़ली॥

काकौ जेळा पड्यौ सड़ै है, मिनखां राखौ लाजड़ली।

तलवार नै सूंपौ सूरमा, पहरौ चूड़यां हाथड़ली॥

करणौ लोटियो किसनौ नाइ, बीड़ौ थाम्यौ हाथड़ली।

डूंगजी जणै घरां आवसी, मीठी लेसां नींदड़ली॥

काकौ भतिजौ नाहर बणग्या, खाली होगी हाटड़ली।

बीच बजारां सेर फिरै है, सूनी दीसे डांडडली॥

जांगळ देस आय जवारौ, सुख सूं काटी रातड़ली।

भटका खातौ फिरै फिरंगी, बीकाणै री धरतड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम