दया धरम जीवां मै बसिया, भगवन बसिया हीवड़ली।
भजन- वांणी मिंदर मै गूंजै, गांवां गूंजै गीतड़ली॥
गोळ थम्बा ऊंचा बण्या है, मिंदर बण्या है टेकड़लो।
मिनख लुगाई टाबर टोळी, दिखै जोड़ता हाथड़ली॥
जात-पांत आडी नीं आवै, मालिक बसिया हीवड़ली।
देवि-देवता पीर पैगम्बर, ध्यावै सगळी गांवड़ली॥
साधू आयां उछब छायजा, ऊभा जोड़ै हाथड़ली।
भगवन म्हारै घरां पधारौ, स्सै रै मूंडै बातड़ली॥
झिर-मिर झिर-मिर कुत्तड़ी ब्याई, टाबर मूंडै बोलड़ली।
घर-घर आटौ दिखै मांगता, सीरौ जीमैं कुत्तड़ली॥