जिण तलवारां भोड काटिया, खुन लागियो धारड़ली।
आधौ माथौ दुःखतौ मिटजा, देख्यां मूंडी आंखड़ली॥
पेट आफरौ चढतौ दीसै, सिणियौ सोधै गोरड़ली।
सिणियै जड़नै मूंडै चाब्यां, वाय सुरै है धाकड़ली॥
टाबरिया नै टट्यां लाग्यां, उकळै हांडी रेतड़ली।
नितरयौ ठंडौ पांणी लीनौ, बैठी पावै मावड़ली॥
ओ'री माता जणै धमकजा, घासौ देवै मावड़ली।
ममोलियां री दियां उकाळी, रमलै टाबर टिगरड़ली॥
जणै ताव तप दोरौ चढजा, गाभां दपटै दादड़ली।
हिरण मुताळी देतां-देतां, टाबर मूंडै हांसड़ली॥