कागद काळा कर रह्या, रात्यूं बाळै तेल।

मूरख समझै देश ने, माच्यो खेलम खेल॥

स्रोत
  • पोथी : पोलमपोल भायाजी ,
  • सिरजक : कर्पूरचंद कुलिश ,
  • प्रकाशक : राजस्थान पत्रिका प्रकाशन
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