इखरी- बिखरी भेडां चरती, पासै राखे खेतड़ली।
अेवाड़ियौ गेडी न लीयां, ऊभी ऊंची टीबड़ली॥
अेवड़ चरतौ दिखै चालतौ, पात बचै नीं घासड़ली।
पगां मंडोड़ी धरती दीसै, सूनी दीसै रोहिड़ली॥
ढळतां सूरज अेवड़ आवै, बैठै ऊपर रेतड़ली।
भेडां सूती नींदां लेवै, पो'रौ देवै कुत्तड़ली॥
टीबै माथै ऊभी भेडां ठंडी खावै पूनड़ली।
दै हड़बच्यां, चूंगै उरणिया, बोबा चूसै जीभड़ली॥
फळसै आगै अेवड़ बैठयौ, दे फटकारौ पूंछड़ली।
ठौड़-ठौड़ पर कादौ-कीचड़, बिखरी दीसै मींगणली॥
ऊन कतरियां भेडां मोडी, मो'रां ऊपर चूंखड़ली।
राती-राती ऊन दिखै है, रंगदै घर मै साथड़ली॥