बनड़ै रै माथै नै धोवै, मामौ लीयां छाछड़ली।

पाटै माथै बैठ्यौ न्हावै, भावज गावै गीतड़ली॥

बींद बणावै ऊभी भावज, काजळ घालै आंखड़ली।

निजर बचावण खातर मांडै, मुंडे काळी टीकड़ली॥

बींद राज बण ठण नै बैठ्या, माथै बांध्यां पागड़ली।

हीरा कंठी पळका मारै, लांबी पहरी अचकणली॥

फीडी जूती बनड़ै पहरी, सलमा तारा डोरड़ली।

बींद पगलिया धरतौ चालै, होळै होळै टांगड़ली॥

फूल-गुलाबी दिखे कमरबंध, झीणी मलमल ओढणली।

मांय घाल नारेल बांध दै, घर-घर गांवां भावजड़ी॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम