दिलमें चिंता देसरी, मनमें हिंद मठोठ।
भारत री सोचे भली, बीं ने दीजो बोट॥
कुटलाई जी में करे, खल जिणरे दिलखोट।
नह दीजो बीं निलज ने, बड़ो कीमती बोट॥
काला कपटी कूड़छा, ठाला अनपढ़ ठोठ।
घर भरवाला क्रतघणी, भूल न दीजो बोट॥
बुध हीणा, गत बायरा, पाप उठावे पोट।
विस कटुता री विसतरै, भूलन दीजो बोट॥
आयां घर आदर करे सादर करे सपोट।
मोहन कहे बीं मिनख ने, बेसक दीजो बोट॥
सर्व धरम सद्भावना, सब जन लेय परोट।
हिलमिल चाले हेतसूं, बीं ने दीजो वोट॥
करड़ाई अड़चन करे, सागे रखणों सोट।
निरभय, निडर, निसंक व्हे, बेसक दीजो वोट॥
पांच बरस बीत्यो पछे, आयो पर्व अबोट।
चित्त उजवल नह चूकणौ, बढ़चढ़ दीजो बौट॥
जांत पांत नह जौवणी, नह बिकणौ ले नोट।
भासा रे खातर भिड़े, विणने दीजो बोट॥
इण अवसर दारू अमल, हिलणौ नह धर होठ।
जगां जगां नह जीमणौ, देख चीकणा रोट॥
प्रात काल न्हायां पछे, हरि सुमरण कर होठ।
दैणो बटन दबाय कर, बेशकीमती बोट॥
अन्तस तणी अवाज सुण, सुध हृदय मनमोट।
विध विध सोच विचार कर, बेशक दैणो बोट॥
दशा बिगाडै देशरी, कर हिंसा विस्फोट।
मोहन कहे दीजो मतिः, बां मिनखां ने बोट॥