चुगलखोर जद मिळै सामनै, माथौ काटै बीजड़ली।
अमरसिंघ री तेज कटारी, घसी सलावत छातड़ली॥
अमरसिंघ सरगां मैं पूग्या, नागाणै मै रातड़ली।
हाडी रांणी केस खोलिया, ले तलवारां हाथड़ली॥
पळका मारै खिंवै बीजळी, हाडी खांडै धारड़ली।
दुसमी माथै पड़ै कड़कती, बिखरै ल्हासां रेतड़ली॥
दुरगौ तुरियौ सरपट भाजै, दिन देखे नीं रातड़ली।
जोधाणै में आय भाइड़ौ, झंडौ रोप्यौ टेकड़ली॥
दुरगौ घोड़ै चढियौ चालै दिल्ली धूजै धरतड़ली।
बड़ा-बड़ा उमराव हारग्या, वीरां हाथां जीतड़ली॥