कंकभट वल्लवजू वृहन्नटा ग्रंथिकार,

तंत्रीपाल सैरन्ध्री व्है आकृति छिपायबो।

द्विज के महोत्सव में हतन जिमूत मल्ल,

द्रौपदी के काज वंश कीचक खपायबो।

दक्षिण गो ग्रहण अर्ध-मुंडन सुशर्मा को,

दूजै गो ग्रहण करु सैन्य मुरछायबो।

पासे को प्रहार भूप मच्छ तैं युधिष्ठिर कौं,

उत्तर तैं सौभद्रेय ब्याह कौं रचायबो॥

स्रोत
  • पोथी : पाण्डव यशेन्दु चन्द्रिका ,
  • सिरजक : स्वामी स्वरूपदास देथा ,
  • संपादक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : तृतीय