भास्कर तैं अखै पात्र प्रापत प्रथम भयो,
कृष्ण को मिलाप इतिहास नृप नल को।
जिष्णु तप अस्त्रलाभ कपट निषाद जुद्ध,
नाक गौन रंभा श्राप नाश दैत्य-दल को।
घोष यात्रा बंधु मोक्ष द्रौपदी-हरन ता में,
जन्म भ्रष्ट व्हैबो दुष्ट जैद्रथ विकल को।
राम कथा तीर्थाटन कर्न-जन्म अरनी तैं,
चार बंधु मृत्यु यक्ष जोग पान जल को॥