चारौं भ्रात द्रौपदी को यान में पतन भयो,
युधिष्ठिर व्योम-गंगा न्हाय तन त्याग्यो है।
श्वान-कथा सुयोधन आदि दे कै नाक विषे,
देवदूत गैल बंधु देखवे कौं राग्यो है।
अर्जुन कौं आदि दे कै नरक निवास देखे,
करत विलाप सुनि अद्भुत सो लाग्यो है।
बिचार्यो तहां निवास इन्द्रादिक आय पास,
बतायो विलास नृप सोवत सो जाग्यो है॥