संजय युयुत्सु लेकै आये राजलोकन कौं,

गांधारी कौं कोप जुत व्यास तैं सिरायबो।

तोहू कोप ज्वाल नेत्र पाटी बँधी अधोभाग,

करत प्रनाम धर्म नख को जरायबो।

मरेन के नाम लै लै कहत युधिष्ठिर सों,

सुयोधन माता की विलाप ताप गायबो।

लोह में बनायबो मिलायबो अचक्षु तैं सो,

चुरन दिखायबो रु भीम कौं बचायबो॥

स्रोत
  • पोथी : पाण्डव यशेन्दु चन्द्रिका ,
  • सिरजक : स्वामी स्वरूपदास देथा ,
  • संपादक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : तृतीय