कीर्ति लज्जा शांति बुद्धि प्रज्ञा धृति आस्तिकता,

शमता रु दमता तैं तमता बिनासी है।

सुघराई गिरा क्षमा वीरता उदारताइ,

विद्या उपकारताइ विश्व में विकासी है।

व्यास मुख प्राची दिशि सज्जन कुमुदवृंद,

श्रूपदास बुद्धि सो चकोरनी हुलासी है।

खोडस कला की ताकी चंद्रिका प्रकासी है॥

स्रोत
  • पोथी : पाण्डव यशेन्दु चन्द्रिका ,
  • सिरजक : स्वामी स्वरूपदास देथा ,
  • संपादक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : तृतीय