कीर्ति लज्जा शांति बुद्धि प्रज्ञा धृति आस्तिकता,
शमता रु दमता तैं तमता बिनासी है।
सुघराई गिरा क्षमा वीरता उदारताइ,
विद्या उपकारताइ विश्व में विकासी है।
व्यास मुख प्राची दिशि सज्जन कुमुदवृंद,
श्रूपदास बुद्धि सो चकोरनी हुलासी है।
खोडस कला की ताकी चंद्रिका प्रकासी है॥