बल बक हीरा कुंद पुंडरिक कांस भस्म,

कांचू अहि खांड हाड करिका कपास गनि।

चंदन चँवर हंस सत्ययुग दुग्ध शंख,

उड्गन फीटक सीप चूनो शशि शेष भनि।

गंगोदक शुक्र सुधा शारदा शरद सिंधु,

सतोगुन शंकर सुदर्शन फटिक मनि।

शान्त हास्य उच्चीश्रवा नारद रु पारद तैं,

ऊजरे अधिक मन ऐसे हरिदास घनि॥

स्रोत
  • पोथी : पाण्डव यशेन्दु चन्द्रिका ,
  • सिरजक : स्वामी स्वरूपदास देथा ,
  • संपादक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : तृतीय