शल्य स्नान सुशर्मा उलूक सकुनी को वध,

धर्मपुत्र ही तैं नाश सल्य अर्ध दिन में।

सुयोधन नीरसय्या दूतन तैं शोध पाइ,

धर्म कटुवाद तैं जगायो एक छिन में।

कृष्णाग्रज तीर्थयात्रा कुरुक्षेत्र सरस्वती,

दोनों की प्रशंसा पांचौं श्रौन कुंड तिन में।

द्रौपदी कौं सभा बीच दिखाई जो वाम जंघा,

तातैं सोई तोरि भीम मारि लियो रन में॥

स्रोत
  • पोथी : पाण्डव यशेन्दु चन्द्रिका ,
  • सिरजक : स्वामी स्वरूपदास देथा ,
  • संपादक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : तृतीय