पहर चढ़याँ उठ्ठै थोडा अंलसावै खटिया पै,
उठताँ ही चाय फेर सुट्ट सिगरेट की।
निबटता निबटाता दस ग्यारह बज जावै
जावै भाग-भूग'र काम पर डाँट सुणै मेठ की।
होवै जो मजूरी पकी काम करै न कौड़ी को
जो नौकरी हो काची माँगै माफी कछु लेट की।
स्वारथ क लेखे खोई लाज बोई मरजादा
अेक याद रहगी बस आज आग पेट की॥