धड़ा बंध निवेड़ का प्रथम सुन्य कार बेसुन्य।

बेसुन्य मां जोति सरूप उपनु जोति विसुन्य।

विसन ओउमंकार कीनूं ओउमकार किया पांच तत।

पांच तत त्रगुण सिस्टि उपाई गिनती अगणत्या ज्ञान।

ब्रंभ मरजाद बताइ एक सम वयसाख सुदी तीज तिथि।

मेष लग्न मंगल नख आदरौ

सतगुरु सतजुग थरपियो प्रथम घड़ी परभात रो॥

सृष्टि के पूर्व सर्व शुन्य - विशुन्य था। विशुन्य में से ज्योति स्वरूप विष्णु का प्राकट्य हुआ। विष्णु ने ऊंकार को उत्पन्न किया। ऊंकार से पांच तत्व उत्पन्न किये। पांच तत्व तीन गुणों से त्रिगुणात्मक सृष्टि की। सृष्टि की अनगिनत संख्या है। ब्रह्मा ने सृष्टि की मर्यादा बताई। वैशाख सुदी तृतीया मेष लग्न मंगलवार को आद्रा नक्षत्र में सद्गुरु भगवान विष्णु ने प्रभात की प्रथम घड़ी में सतयुग का प्रारंभ किया।

स्रोत
  • पोथी : विश्नोई संत परमानंद बणियाल ,
  • सिरजक : परमानंद बणियाल ,
  • संपादक : ब्रजेन्द्र कुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल ,
  • संस्करण : प्रथम
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