रेसम की डोरिन सों तास को बितान तान्यौ,

मोतिन की माल री झुलत सोभ न्यारी है।

गीलम बिछारी बांधी परजादा जरी सुहाई,

मीनामय चित्रित चीनी की चित्र सारी॥

कहै सिरदार ताहा रतन प्रजंक पर,

सोरहे सिंगार साजै सारी जरतारी है।

कीन्हौ सुख ठाठ खोल चंदन कपाट बैठी,

बिलोकित बाटै प्यारी राधिका तिहारी है॥

स्रोत
  • पोथी : सुर-तरंग ,
  • सिरजक : सरदार सिंह ,
  • संपादक : डी.बी. क्षीरसागर ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम