ररा राम पुकार ले रैण दिवस इकतार।

आठ पौहर की फिरादै मै, कदेक सुने पुकार।

कदैक सुने पुकार सांम सुन मुख हुय झांखै।

जाय दालद सब दूर, हर आपणौ कर राखै।

उद्धव तन मन अरप कै, रोपो पांव खपाम।

मिनख मजुरी देत है, क्यूं राखे राम ररा॥

ररा- राम नाम की पुकार एकाग्र होकर निसदिन करें। आठ प्रहर की पुकार में कभी तो ईश्वर तुम्हारी फरियाद सुनेगा। श्याम से साक्षात्कार करके तो

देखो। वे हमें अपना स्वीकार करके हमारे समस्त सांसारिक दुःख, दारिद्रय दूर कर देंगे। अपना सब कुछ ईश्वर को समर्पित करके तो आप देखो।

काम के बदले मेहनताना तो मनुष्य भी देता है तो फिर ईश्वर आपका कुछ नहीं रखेगा। आप स्वयं को उन्हें समर्पित करके अवश्य देखें।

स्रोत
  • पोथी : ऊदोजी अड़ींग की बाणी ,
  • सिरजक : ऊदोजी अड़ींग ,
  • संपादक : आचार्य कृष्णानंद ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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