नमो नमो निरकार, सकल शिर सार सहाई।
कला अकल अणकृत, महा निज नीति कहाई।
देखण हार दयाल, सर्व गत पेख सयाना।
पोषण भरण विचार, करे हरि सहज पयाना।
परकार अघट घट घट प्रगट, सुघट होय अण घट सता।
हरिदेव स्वामी हरि है सही, कबहु नहीं काई कचा॥