सोने ते सवाई अंग रंग झलकत-नील
बरन बसन की लसन सोभ न्यारी है।
भाल के कुरम दलित कल गाए बाल,
भूषन बिसाल हेम रतन उज्यारी है।
कहै सिरदार हाव भाव सौ बिमोहै पति।
स रि ग म पि सुर खरिज ग्रेह भारी है।
गावत बसंत निस अंत औडो जाति बांम,
रामकली रुचिर हिंडोल राग प्यारी है॥