रासौ बर बु्द्धि सिद्धि, सुध्दि सो सब्ब प्रमानिय।
राजनीति पाइयै, ग्यान पाइयै सु जानिय।
उकति जुगति पाइयै, अरथ घटि बढि उनमानि।
या समान गुन आप, देव नर नाग बखानिय।
भविछत भूत ब्रतह गुनित, गुन त्रिकाल सरसइय।
जो षढय तत्तरासौ सुगुर, कुमति मति नहिं दरसइय॥