कमल भाल जनु बाल, मकर कर मंडि इंछिनिय।
निरखि नैंन प्रतिबिंब, करहि निवछार निंछिनिय।
प्रमुदित अगनि अनंग, कोक कूकन उच्चारत।
एक रमन रस रंग, बात बातन मुच्चारत।
गंधअर वस्त्र गहनैं करनि, हास भास मंडीर रिय।
तिन मध्य पवारी पिख्खियै, जनु विधिना अप्पन घरिय॥