ज दिन जनम प्रिथिराज, खरिग बत्तह कनबज्जह।
ज दिन जनम प्रिथिराज, त दिन गज्जन पुर भज्जह।
ज दिन जनम प्रिथिराज, त दिन पट्टन वै सद्धिय।
ज दिन जनम प्रिथिराज, त दिन मन कालन खद्धिय।
ज दिन जनम प्रिथिराज भौ, त दिन भार धर उत्तरिय।
बतरीय अस अंसन ब्रहम, रही जुगे जुग बत्तरिय॥