मैल मन मांन कौ, मकांन कहै भोगीजन,
गौन कूं विमान पद धरतहू न काचो है।
कारे मतवारे के करारे काम सारे,
सिद्धि अमर उतंग वलवीर को समांचो है।
संकर कविन्द छंद छप्पै ये प्रवंध वेश,
ग्यान गुन ग्रंथन समूह मन राचो है।
ध्यांन है धनी मैं श्याम काम की वनी मैं,
वीर अरिदल अनी में त्यों अफीम रंग राच्यो है॥
साधनकूं सिद्धन कूं संतन महंतन कूं,
वेद श्रुति पंथन कूं परम प्रचार है।
सज्जन मन मोद कूं अछेह महावोध कू,
प्रदेश जे गनेश को विचार है।
संकर भनंत त्यौ अनंत सुख कारण कौं,
तारन कूं पौत ज्यौं सपोत को करार है।
दांणावत धार सर्व काम को सुधार यही,
अरिजन दृग ढारिवे कूं अमल उदार है॥