आदि सकति रीझिया श्रोण पीधा तरखाळां।

रुद्र ज्याइ रीझिया ऊपर पैरी रुण्डमाळा॥

रिख नारद रीझिया जिकां हासारस थाया।

हूर अछर रीझिया महासूर बर पाया॥

सांभळा ग्रीध रिध सकौ आभक चराचर ऊपरां।

जीविजै अभा दूजा जगा महा बाद अजमाल रा॥

ठांम ठांम सोहिया, धाम जेहा धमळागर।

बावड़ीयां देखता, बाग वर जूथ सरोवर॥

कथ क्रिया द्विज करै, केई जेठी वल तूलै।

केई पिणघट कूलरां, केई पंखा पुर फूलै॥

घर घर अनेक दोलत घणी, सुख बहुत समाज रो।

सोहे दराज सारौस हर, आज राज महाराज रो॥

वाज बतीत वाजत्र, वाग बेड़ियां विडंगां।

ठांम ठांम ठाकुरां चमू ऊपड़ै लड़ंगां॥

रज अपार ऊबळै पंखी मांझले अमूझे।

सेस मत्थ धड़हड़ै, हाथ नैणन सूझे॥

जलमले कांहि कादम जुड़ै, कीचवाह कजरी धरा।

कनवज पंगवाळा कटक, कना कटक नवकटोरा॥

गड़ड़ नाद गाजीया, दड़ड़ गोळीयां अपारां।

धड़ड़ आभ धरतरी, जड़ड़ कुंजरां जयारां॥

बड़ड़ बांण बेवड़ा, कड़ड़ खांचता कबांणां।

फड़ड़ ज्यार फीफरां, खड़ड़ केमरां खतांणां॥

रिख हड़ड़ वड़ड़ अस दड़ड़ रत, बडवड़ अंबर बधावणां।

गड़गड़ त्रंबाळ तड़तड़ प्रकट, उरड़ थाट अघियाणणां॥

स्रोत
  • पोथी : महाराजा अभैसिंह रा अहमदाबाद झगड़ा रा कवित्त ,
  • सिरजक : बखता खिड़िया ,
  • संपादक : बखता खिड़िया ,
  • प्रकाशक : हस्तलिखित प्रति
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