सत राखण शीश कटाय सदा, इतिहास रचेड़ा है जिणरा।
सूरां री साख रखण वाळी, मन नित्त रहे आ मरुधरा॥
जनम्या राणा सा जौध जबर, पद्मण सी जनमी राणी है,
सिर दान कियो हित धरणी रे, राखी रजवट सैनाणी है।
ले खड़ग हाथ आराण रचे, जस गीतां मैं लिखया उणरा,
सूरां री साख रखण वाळी, मन नित्त रहे आ मरुधरा॥