कोरोना हुयो कजाक, खूटल करत खाक,
ताक रखे मनूज तें, धाक जम्मराज है।
सासन रैलिय जोर, लाशन को नहीं ठौर,
ढोर मरे भूखन ते, बंद दरवाज है।
गरीब जरब घिस, ठाम ठिक लेय शीश,
रीस किंण धीश ईश, काम है न काज है।
खालिक रहम खैर, खलक में हैर हैर,
बेर बेर मैर टेर, झेर दूनियाज है॥
कोरोना सूं मारन को, मौत उभी द्वारन को,
तारन को दुनिं आज, हे मनुज थम्मिये।
जब्बर जच्चत जाल, मरत्त मनू अकाल,
लाल सुणों भारत के, बाहर न भम्मिये।
पीड़ित सूं नहीं भेद, तुरत ही पुगो वैद्य,
कैद हुके आसन ते, ताशन से रम्मिये।
मंदिर मस्जिद त्याग, घरां सूं हि नित जाग,
पुराण-कुरान पढ, देवन को नम्मिये॥