पतिसाही दळ सरिस, राण पातल चढ्ढै रिण।

राजा राम नरेस, तुअर दस सुहड़ पड़े तण॥

रहे मेड़तियो राम, रहे मानो कणिआगर।

रहे भीम डोडियो, साथ दोई लियां सहोवर॥

रण रहे मेर दूलाहरी, सुकवि राम खग सगतसी।

असुरेस फोज जीतौ अभंग, पाधर राण प्रतापसी॥

स्रोत
  • पोथी : प्राचीन राजस्थानी काव्य ,
  • सिरजक : गिरधर आसियो ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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