ठंडी भोर मन भाय सदा, बहे मीठो निर्मल नीर जठे।
करसा उठ करे नित्यकर्म, खेत फसल लहराय बठे॥
हुक्को पीता करे हथाया , मिले जिणां संग राम रटे।
देखो सुख आराम सभी, आ गावां जैडी़ ठाठ कठे॥