कहयौ सुदामै किसन, ताहि दालद गमायौ।
ध्रुवै ज जपियौ विसन, सीस गिरि मेर थपायो।
जप्यो बलराजा विसन, ताहि अब लग चोमासौ।
जप्यो विभिषण विसन, ताहि लंक दियो वासौ।
केइ भगत तिरिया जप तप, विसन मंदोवरि रावण रहंत।
कुळ लंक लीपत रावण कंनो, किसन विसन रावण कहंत॥