जांचक रो कहा जांच, जांच राजा जुगपति।

दीन्हो रो कहा देत, आप नहीं होत त्रिपति।

सुरपत नरपत साह, राव राजा'र भिखारी।

लख चौरासी जीव, एक दातार मुरारी।

जांचै तो जांच जरणा रज नै, वेद पुराणा वांचियै।

कान्हिया जांच करितार नै, जांचक रो कहा जांचियै॥

स्रोत
  • पोथी : पोथो ग्रंथ ज्ञान ,
  • सिरजक : कान्होजी बारहठ ,
  • संपादक : कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, पुरस्कार ,
  • संस्करण : प्रथम
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