जा दिनतै लगे नैंन तिहारे, सो ता दिन तैं वे बिके तन त्यौं हैं।

काहू कौं ‘लाच दै काहू कौं सांच दै, काहू कौं आंच दै जाच दै ज्यौं हैं।

अंबु ज्यौं ओछै परी सफरी, नफरी भये त्यौं अकुलात से यौं हैं।

आजु कछू फिरि काल्हि कछू परसौतै कछू तरसौतै कछू हैं॥

स्रोत
  • पोथी : नेहतरंग ,
  • सिरजक : बुध्दसिंह हाड़ा ,
  • संपादक : श्रीरामप्रसाद दाधीच ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : first
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