हटकि हटकि मन राखत जु छिन छिन।

सटकि सटकि चहुं वोर अब जात है।

लटकि लटकि ललचाइ लोल बार बार।

गटकि गटकि करि बिष फल खात है।

झटकि झटकि तार तोरत करमहीन।

भटकि भटकि कहुं नैकु अघात है।

पटकि पटकि सिर सुंदर जु मानी हारि।

फटकि फटकि जाइ सुधौं कौंन बात है॥

स्रोत
  • पोथी : सुंदर ग्रंथावली ,
  • सिरजक : सुंदरदास जी ,
  • संपादक : रमेशचन्द्र मिश्र ,
  • प्रकाशक : किताबघर, दरियागंज नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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