तुहिं बन राम प्रभु रावण संहार किन्हो,

रूप हनुमान धार लंका को जलाई है।

बाल गोपाल बन धेनु को चराये तूहिं,

तूंही नंदलाल उस कंस को संघारे है।

कहे कुलदीप नित नजर कृपा की रखो,

सारी जिन्दगानी एक आसरे तुम्हारे है॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप सिंह इण्डाली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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